पशु ज्यादा दूध देने लगे तो हुआ हज़ारों का फ़ायदा.
सुदेश देवी हरियाणा के जींद में रहती हैं. लाखों महिलाओं की तरह सुदेश भी डेरी किसान हैं. 20 साल से गाय-भैंसों का ख़याल रख रही हैं और अपने परिवार का पेट पाल रही हैं. गांव के लोग अक्सर उनसे सीखने आते हैं कि पशुपालन कैसे किया जाए. देश के तमाम पशुपालकों की तरह सुदेश भी खल, चोकर, चना और चुन्नी जैसा देसी चारा खिलाकर अपने पशुओं को पाल रही थीं.
बीते साल उन्हें गोल्डन चना चूरी के बारे में पता चला. ये चारा उन्हें डिजिटल एग्रीटेक प्लेफॉर्म FAARMSके ज़रिए मिला. चारा बदलने के बाद प्रति पशु दूध का उत्पादन 2 लीटर प्रतिदिन तक बढ़ गया. जिससे सुदेश देवी के परिवार को उस साल 20,000 रुपये की अतिरिक्त कमाई हुई.
“छोटे किसानों के लिए इस तरह की बचत बहुत मायने रखती है और उनके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है.” ऐसा कहना है आलोक दुग्गल का, जो FAARMS के को-फाउंडर और सीओओ हैं. फार्म्स किसानों के घर तक बीज, फ़र्टिलाइज़र, पेस्टिसाइड और चारे जैसी बुनियादी चीज़ें डिलीवर करता है.
आलोक और तरणबीर सिंह की मुलाकात हुई थी उनकी पिछली नौकरी में. जहां वे ग्रामीण बैंकिंग सेक्टर में साथ काम करते थे. उन्होंने सोचा कि क्यों न कोई ऐसी चीज बनाई जाए जो किसानों की बड़ी मुश्किलें हल कर दे.
“हम दोनों ने पहले 15 साल फार्मिंग सेक्टर में साथ काम किया. फिर मैं सप्लाई चेन में चला गया. और तरणबीर ने फार्मिंग सेक्टर में काम जारी रखा. एक समय के बाद हमें अहसास हुआ कि हमें एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने की ज़रुरत है जो टेक्नोलॉजी और वितरण के जाल से ऊपर उठकर किसानों की मुश्किलों के लिए एक सीधा-सादा हल लेकर आए.” आलोक ये भी बताते हैं कि किसानों का भरोसा जीतना बहुत ज़रूरी था क्योंकि डिलीवरी में देरी और खराब प्रोडक्ट्स की समस्याओं को झेल-झेलकर वे उकता चुके थे.
इस स्टार्टअप की शुरुआत 2020 में हुई. फार्म्स का ऐप कई भाषाओं में उपलब्ध है साथ ही किसानों की सुविधा के लिए ऐप में कई तस्वीरें हैं जिससे वे प्रोडक्ट के बारे में आसानी से समझ सकें. साथ ही इसकी वेबसाइट भी है, जिसके ज़रिये न सिर्फ प्रोडक्ट ऑर्डर किए जा सकते हैं, बल्कि खेती-किसानी से जुड़े मसलों पर उपलब्ध मशवरे भी लिए जा सकते हैं. साथ ही किसान अपनी फसल यहां भेज भी सकते हैं. फार्म्स भविष्य में खेती-बाड़ी के टूल्स और छोटे लोन्स की सुविधा लाने की तैयारी में भी है.
